खुशियों से ज्यादा साथ मेरा ग़मों ने निभाया ...
जिस रह पे छोड़ गए सब साथ ..
उसमे भी ग़मों ने मुझे अपना हाथ थमाया ...
मिलती रही खुशियाँ भी किसी किसी मोढ़ पे ...
पर हर मोढ़ पे ग़मों ने मुझे अपनाया ....
देखती थी ये आँखें सपने भी बहुत ...
देख कर उनको मिलती भी थी राहत ...
उनसे मिलने क लिए इंतज़ार भी किया ..
उनसे मिल के इज़हार भी किया ...
दे कर पल दो पल की खुशियन ..
उन होने भी हमे ग़मों क साथ बिठाया ..
ये दिल सागर है आंसू का ..
जिन्हें में भा नहीं पाया ..
रोता हू छुप छुप के ..
आजतक इस दिल को समझा ना पाया ..
खायी ठोकर हर कदम पे ..
पर में अपने ये ज़ख़्म ...
आपको दिखा ना पाया ...
खुश है उसकी रज़ा में ...जिसने हमे बनाया ...
खुशियों से ज्यादा साथ मेरा ग़मों ने निभाया ...
खुशियों से ज्यादा साथ मेरा ग़मों ने निभाया ...