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Thursday, February 18, 2010

"A LEASON"

किसी मकसद से खुदा ने भेज दिया ज़मीन पे ..
फिर हर डगर पे परिवार ने चलना सिखा दिया
लूटा यहाँ तोहफा खुशिओं का
साथ भी निभाया ग़मों ने
हिम्मत भी दी मुझे मेरे मौला ने
और सच के रस्ते पर चलने का जज्बा भी जगा दिया
ये भी था एक फरमान उस खुदा का
जिसने ज़िन्दगी क हर मोढ़ पे मुझे हसना सिखा दिया
फिर एक दिन मुलाकात हो गयी उनसे
देखा जो उनकी आँखों में
नाचीज़ को प्यार करना भी सिखा दिया
सिखाया उनकी यादों में तड़पना
सिखाया बनाना किसी बेगाने को अपना
दो पल क बाद सीने में बेवफाई का दिया भी जला दिया
दोल गया अपनी राहों से खो गया तन्हाइओन में
तेरे ग़म ने ज़ालिम हमे पीना भी सिखा दिया
फिर एक दिन एक आई किरण सूरज की
महक उठा अशिअना मेरा
नफ़रत को सीने में दबाना सिखा दिया
मुझे मेरे खुदा ने जीना सिखा दिया .......मुझे मेरे मौला ने जीना सिखा दिया


6 comments:

  1. बहुत अच्छी कविता है...और अंत तो सुखद तथा प्रेरणा देने वाला है.!अच्छा प्रयास!!!

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  2. This comment has been removed by a blog administrator.

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  3. bahut achchha likhte hain. Dhanyabad

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